Thursday 11 July 2013

असीम अन्धकार




अभी कुछ 20 दिन ही बीते होंगे राजू की माँ का देहांत हुए, 13 वर्ष की आयु में जब उसे अनाथ शब्द का मतलब भी नहीं पता था- ये दिन देखने पड़ गये राजू के पिता तो 5 बरस पहले ही चल बसे थे तब से उसकी माँ जैसे-तैसे दूसरों के घर झाड़ू पोछा कर अपना व अपने दो बच्चों का भरण-पोषण कर रही थी लाख दुःख देने वाले भगवान को भी उसने कभी कोषा नहीं, उसे विश्वास था की इस काली रात के बाद सुबह आएगी और उसका राजू पढ़-लिख कर अधिकारी बनेगा बेचारी कहाँ जानती थी की उसके चेहरे की फीकी हंसी भी कुदरत से बर्दास्त नहीं हो पायेगी अधिक काम और अल्प आहार के कारण बीमार पड़ गयी और बीमारी भी उसका दम निकाल कर ही मानी उसके तों कष्टों का अंत हो गया किन्तु पीछे रह गयी दो नन्ही जान
राजू ने गांव वालों को कहते सुना था कि उसकी माँ कि मृत्यु हो गयी है और वो और उसका भाई अनाथ वो नासमझ कहाँ समझ पाता इन मनहूस शब्दों का मतलब उसे तो बस इंतज़ार था कि कब उसकी माँ आएगी और दोनों भाइयों को प्यार से गोद में बिठा कर खाना खिलाएगी और फिर लोरी सुना कर सुला देगी उसकी आँखें एक पल को भी दरवाजे से हटी नहीं थी, mमाँ को ना आना था और ना वो आई आँखों के कोने में आंसू ज़रूर आ गये एक-एक बूँद आंसू जमा होता गया और फिर टूट पडा मासूम के सब्र का बांध आंसूओं कि धारा बह पड़ी शायद उसे अहसास हो चुका था कि अब उसकी माँ नहीं आएगी
बहुत देर तक रोता रहा नजरें अब भी दरवाजों पर टिकी थी सुबकियां दहाडों में बदल गयी लेकिन न कोई सुबकियां देखने वाला था न कोई दहाड़े सुनने वाला, जब मन कुछ हल्का हुआ तो नज़रें दरवाजों से हट कर छोटे भाई दीपू पर पड़ी 6 साल का दीपू भूख से बिलखाता सो गया था, खुद राजू को भी भूख सताने लगी थी सच ही कहते है भूख से बड़ी तकलीफ़ कोई और नहीं होती है छोटा भाई जागेगा तो खाना माँगेगा ये ख्याल भी सताने लगा था कल तक कोई न कोई गांव वाला आके खाना दे जाता था पर कौन किसी को पूरी जिंदगी खिला सकता है आज कोई नहीं आया दिन के 1 बज चुके थे, राजू को शायद अंदेशा हो गया था कि आज कोई नहीं आएगा खाने का इंतज़ाम उसे खुद ही करना पड़ेगा समय ने समय से पहले ही उस मासूम को दुनियादारी कि समझ दे दि थी शायद, कहते है जब इंसान के उपर विपत्तियों का पहाड़ टूटता है तो उसका सामना करने का हौसला भी अपने आप ही आ जाता है
rajराजू खड़ा उठा और चल पड़ा अपने आंसू आप पोंछ खाने का इंतजाम करने, नन्ही सी जान कहाँ जाये कैसे अपनी और अपने भाई कि भूख मिटाए ? खैर! घर में बैठ कर तो कुछ होने वाला नहीं था और भाई जब नींद से जागेगा तो अपने बड़े भाई को न पाकर व्याकुल होगा या घर से बहार निकल जाये तो ? राजू ने दरवाजा बहार से बंद कर दिया ताकि छोटा भाई कहीं जा न पाए उसके पाऊँ उठाये नहीं उठ रहे थे जब मंजिल का पता न हो तों रास्तों पर आगे बढना मुश्किल हो ही जाता है, सबसे पहले वो मंजरी ताई के घर गया हाथ फ़ैलाने, माँ कि देहांत के बाद एक-दो बार वो आई थी राजू के घर और दयावश खाना भी खिलाया था, मंजरी ताई घर पे होती तो ज़रूर कुछ मदद करती पर घर पर उनका शराबी पति मिला जो नशे में धुत् था खाना देना तो दूर उलटे फटकार कर भगा दिया
गाँव के बीच ही एक बरगद का बड़ा पेड़ था, जहाँ कभी राजू अपने दोस्तों के साथ आँख-मिचौली खेला करता था उसी पेड़ के निचे आज राजू बैठा रो रहा था और कोई सखा कोई साथी भी साथ नहीं था जाने कौन से पाप कर बैठा था वो नादान पिछले जन्म में जिसकी इतनी भीषण सजा वो आज भुगत रहा था अब तक वो भी भूख के मारे बेहाल हो चुका था अपने नन्हे से हाथों से अपने पेट को जोर से भींच लिया था उसने और आँखें बंद कर के आपनी माँ को याद करने लगा रोज सुबह दोनों भाईयों को तैयार कर स्कूल भेज दिया करती थी दिन में काम से आकार प्यार से खाना खिलाती और रोज शाम को लोरी सुना सुला देती कभी कभी प्यार से सर पर हाथ फेर कर कहती राजू तू मन लगा कर पड़ाई कर बड़ा होकर तू बहुत बड़ा आदमी बनेगा, गाड़ी, बंगला, नौकर-चाकर सब होंगे तेरे पास और राजू सब सच समझ बहुत खुश होता और खूब मन लगा कर पढाई भी करा करता, माँ का दिया वो सपना अब कभी पूरा न हो पायेगा, न ही कभी किताबें होंगी उन हाथों में और न ही होगी चहरे में मुस्कान
यादों कि उधेड़ बुन में ही राजू को उसकी माँ के वो शब्द आये जो उसने मरने से कुछ समय पहले उसका हाथ अपने हाथ में लेके कहे थे राजू! मेरे लाल मुझे माफ़ कर देना, तुझे बहुत दुःख झेलने होंगे और छोटे भाई कि ज़िम्मेदारी भी है तेरे नन्हे कंधों पर हो सके तो उसको पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाना मैंने जो तेरे लिए सोचा था वो अब तुझे अपने दीपू के लिए करना है हो सके तो तू भी पढ़ने की कोशिश करना, बेटा में जानती हूँ ये सब अशंभव होगा तेरे लिए मगर अब सब तुझे ही करना हैं और हाँ! लालाइन के पास चला जाना मैंने उनसे बात कर ली है वहीँ तुम्हारा ख्याल रखेंगी

लालाइन का घर सबसे संपन्न था पुरे गांव में, राजू की माँ भी वहीँ काम किया करती थी, जैसे ही मंजिल दिखने लगी मानो असीम उर्जा का संचार हो गया पलक झपकते ही राजू लालाइन के सामने हाथ जोड़े खड़ा था और लालाइन भी मानो उसी के इन्तज़ार में थी होती भी क्यों न अच्छे और वफ़ादार नौकर कहाँ इतनी आसानी से मिलते हैं, देखते ही बोली अरे! नाश-पीटे आज होश आई तुझे! देख कैसे सब बिखरा पड़ा है  ना जाने क्यूँ हर कोई रौब जमा रहा था उस मासूम पर रौआंसा हो गया और दबी-सी आवाज गले से निकली बहुत तेज़ भूख लगी है, भाई भी रोते-rरोते भूखा ही सो गया था उठेगा तो दूध और रोटी माँगेगा चल! जल्दी से झाड़ू लगा दे फिर तुझे खाना खिला कर दूध- रोटी बाँध दूँगी तेरे भाई के लिए सुनकर इतना खुश हुआ राजू जैसे कोई खजाना हाथ लग गया हो फटाफट झाड़ू उठा शीशे सा चमका दिया लालाइन के महंगे फर्श को लालाइन ने भी वादे के अनुसार पेट भर सूखी सब्जी कल सुबह जल्दी आने की हिदायत के साथ दे-दि राजू को और एक पुरानी बोतल में दूध और मैले कपड़े में दो रोटी बांध दि छोटे भाई के लिए राजू फिर भी खुश था दौड़ा-दौड़ा घर पहुंचा
छोटा भाई घंटे भर पहले ही जाग चुका था और तब से लगातार भूख, अँधेरे और अकेले-पन की मार झेलता आंसू बहा रहा था बड़े भाई को देखते ही उससे पड़ा और, और जोर-जोर से रोने लगा, राजू ने वैसे ही उसके सर पे हाथ फेरा जैसे उसकी माँ फेरती प्यार से उसे गोद में बैठाल खाना खिलाया दीपू रोता-रोता थक गया था पेट भरते ही नींद ने उसे अपने आगोश में ले-लिया राजू की छाती से लिपटा-लिपटा ही सो गया
राजू जो कल तक अँधेरे से डरता था, आज सीना ताने उसे घूर रहा था जैसे कह रहा हो मै तुझसे नहीं डरता तू चाहे कितना भी गहरा हो जा जितना मर्ज़ी लंबे समय तक मेरे साथ रह मगर में कभी तुझसे हरूँगा नहीं!
नादान जो ठहरा उसे क्या पता था की-
लाखों गुम हो जाते हैं असीम अन्धकार में,
और रौशनी को खबर भी नहीं मिलती!

5 comments:

  1. Thank-U mam,, UR feedback meant a lot :)

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  2. Cheating is an act that I believe most people can not do without because of their inconsideration and lack of strength and will to keep their pants up. As a woman and someone that happens to always commit myself to my relationships, I have been heartbroken quite a few times by cheating partners but in my last relationship, I devised that I had had enough and badly needed to catch my fiance in the act. I searched sites and this name kept on coming up by ex-clients who gave awesome recommendations so I immediately reached out to them and decided to give a try to get the heavy burden of suspicion off my mind.I never knew that a phone could be hacked without having physical access with it! Thanks to ''hackingloop6@gmail .com'',he is a real cyber genius,he really saved me from fake relationship.You can also reach him on WhatsApp +1(484)540 - 0785 ,tell him i referred you.Cheating is not a mistake, it's a choice either you do it or you don't. Ain't that much forgiveness in this world.

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